Rather than throwing them about the junkyard we must learn how we can correct, reuse and recycle our items so that you can lessen …
बच्चा भी जोर जोर से चिल्ला रहा था। वह अपनी मां को पुकार रहा था। मां की करुणा आंसुओं में बह रही थी, किंतु बेबस थी।
बिच्छू ने अपने स्वभाव के कारण संत को डंक मारकर नाले में गिर गया।
(एक) जब तक गाड़ी नहीं चली थी, बलराज जैसे नशे में था। यह शोर-गुल से भरी दुनिया उसे एक निरर्थक तमाशे के समान जान पड़ती थी। प्रकृति उस दिन उग्र रूप धारण किए हुए थी। लाहौर का स्टेशन। रात के साढ़े नौ बजे। कराची एक्सप्रेस जिस प्लेटफ़ार्म पर खड़ी थी, वहाँ चन्द्रगुप्त विद्यालंकार
दो चूहे – Two Mice Hindi A mouse went out for an experience and fulfills a peculiar mouse or so he known as himself. The mouse then went on to show and try to make this so identified as mouse establish him self if he is as mousy as he claimed to generally be. So on they went, …
वह किसी को परेशान नहीं करता, छोटे बच्चे भी उसे खूब प्यार करते थे।
In this particular novel, a youthful boy Bunti seems with the grown-up world of his household by means of his youngster eyes and wounded eyes. But no matter if this novel is about Bunti or his mom Shakun is actually a bone of contention. Shakun’s ambitions and self-value for herself is really a obstacle for the family, in the end resulting in her separation from her husband. With this conflict involving a partner a spouse, read more it can be Bunti who suffers probably the most. The novel is highly acclaimed and praised for its knowledge of kid psychology.
(एक) “ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे?” कहता हुआ एक पंचवर्षीय बालक बाबू रामजीदास की ओर दौड़ा। बाबू साहब ने दोंनो बाँहें फैलाकर कहा—“हाँ बेटा, ला देंगे।” उनके इतना कहते-कहते बालक उनके निकट आ गया। उन्होंने बालक को गोद में उठा लिया और उसका मुख विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक'
Image: Courtesy Amazon A novel created by Kashinath Singh, this Hindi fiction book was initially published in Hindi. Established inside the spiritual and cultural hub of Varanasi, the novel presents a vivid portrayal of the city’s multifaceted everyday living and its socio-cultural intricacies. Kashinath Singh explores the complexities of the city from the lens of its inhabitants, capturing the essence of Varanasi’s ancient traditions, spiritual methods, and also the clash among modernity and age-aged customs.
(एक) बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगावें। जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक से धुनते हुए, इक्के वाले चंद्रधर शर्मा गुलेरी
उसके पानी से घर में साफ सफाई हुई। रसोई घर में खाना को ढकवा दिया। जिसके कारण मक्खियों को खाना नहीं मिल पाया।
गांव के लोगों में उसका डर था। गांव में रामकृष्ण परमहंस आए हुए थे।
गाय को अपनी ओर आता देख सभी लड़के नौ-दो-ग्यारह हो गए।
मोरल – सच्ची मित्रता सदैव काम आती है ,जीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक है।